Page 181 - BEATS Secondary School
P. 181
कहािी
कहािी
दोस्ती और गलतफहमी दोस्ती और गलतफहमी
तमन्िा राठौड़, कक्षा 9
तमन्िा राठौड़, कक्षा 9
आज जब मैं श ांनत से अपने कमरे में, गमफ कां बल में शलपिी कॉफी पीती हई अपने बचपन के टदनों के ब रे
ु
आज जब मैं श ांनत से अपने कमरे में, गमफ कां बल में शलपिी कॉफी पीती हई अपने बचपन के टदनों के ब रे
में सोचती हां तो मेरे मन में दोस्तों के स थ की मनमज़जफय ां और आव रगी के स थ वह वक्त भी अपनी य दों ु
ू
में टदखत है जब एक गलतफहमी ने हम दोनों के बीच एक दर र पैद कर दी थी। उस समय मेरे जीवन में
में सोचती हां तो मेरे मन में दोस्तों के स थ की मनमज़जफय ां और आव रगी के स थ वह वक्त भी अपनी य दों
ू
दो ही लोग सबसे मुख्य थे; एक मेर पररव र और दूसर मेरी सहेली। हम दोनों पपछले पांद्रह स लों से एक
में टदखत है जब एक गलतफहमी ने हम दोनों के बीच एक दर र पैद कर दी थी। उस समय मेरे जीवन में
दूसरे को ज नते थे। वह मेरी बहन जैसी थी। एक दूसरे के घर में बबन बुल ए ज न ; एक दूसरे के कपड़े
दो ही लोग सबसे मुख्य थे; एक मेर पररव र और दूसर मेरी सहेली। हम दोनों पपछले पांद्रह स लों से एक
पहनन और हर जगह स थ ज न । इन बहत स री चीजों में से क ु छ चीजें हैं जो हम लोग स थ में करन
ु
पसांद करते थे। हम दोनों को दौड़ने क बहत शौक थ । अगर ककसी प्रनतयोगगत में हम भ ग लेते थे तो यह
ु दूसरे को ज नते थे। वह मेरी बहन जैसी थी। एक दूसरे के घर में बबन बुल ए ज न ; एक दूसरे के कपड़े
तय थ कक अगर कोई प्रथम आएग तो वह ाँ हम दोनों में से ही कोई होग । हम दोनों बहनों के बीच कभी
पहनन और हर जगह स थ ज न । इन बहत स री चीजों में से क ु छ चीजें हैं जो हम लोग स थ में करन
ु
भी ईर्षय फ क भ व पैद नहीां हआ। आज भी जब मैं हम दोनों की शैत ननयों के ब रे में सोचती हाँ तो चेहरे
ू
ु
पसांद करते थे। हम दोनों को दौड़ने क बहत शौक थ । अगर ककसी प्रनतयोगगत में हम भ ग लेते थे तो यह
ु
पर एक मुस्क न फै ल ज ती है। हम एक ही थ ली के चट्िे-बट्िे थे। भले ही बहत शैत नी करने की ब त हो
ु
तय थ कक अगर कोई प्रथम आएग तो वह ाँ हम दोनों में से ही कोई होग । हम दोनों बहनों के बीच कभी
य कफर शशक्षक से ड ांि ख ने की; हम दोनों ने एक दूसरे क स थ कभी नहीां छोड़ । अब उस शैत नी की
ब त ज़जसके पररण म के ब रे में हमें पत ही नहीां थ ।
भी ईर्षय फ क भ व पैद नहीां हआ। आज भी जब मैं हम दोनों की शैत ननयों के ब रे में सोचती हाँ तो चेहरे
ू
ु
यह ब त उस समय की है जब हम रे स्क ू ल में मुख्य खेल टदवस से पहले एक क यफक्रम आयोज़जत ककय
पर एक मुस्क न फै ल ज ती है। हम एक ही थ ली के चट्िे-बट्िे थे। भले ही बहत शैत नी करने की ब त हो
ु
गय थ ज़जसमें कई तरह के खेल और ख नप न क आयोजन ककय गय थ । यह एक क ननफवल थ जह ाँ
य कफर शशक्षक से ड ांि ख ने की; हम दो
घुसते ही लोगों की ऐसी भीड़ टदख ई दी कक ज़जसको प र कर प न भी मुज़श्कल लग रह थ । नों ने एक दूसरे क स थ कभी नहीां छोड़ । अब उस शैत नी की
मैं क ननफवल में ज ऊाँ और ख ने-पीने की स्िॉल पर न ज ऊाँ ऐस तो हो ही नहीां सकत । इसशलए मैंने
ब त ज़जसके पररण म के ब रे में हमें पत ही नहीां थ ।
ख नप न के स्िॉल की तरफ अपने कदम बढ़ ने शुरू कर टदए। तभी एक गांध मेरी न क तक पहाँची और उसे
ु
यह ब त उस समय की है जब हम रे स्क ू ल में मुख्य खेल टदवस से पहले एक क यफक्रम आयोज़जत ककय
सूाँघते ही मेरे मुाँह में प नी आ गय । ख -पीकर हम लोग खेलों की तरफ बढ़े। हम रे आगे एक बहत ऊाँ ची
ु
गय थ ज़जसमें कई तरह के खेल और ख नप न क आयोजन ककय गय थ । यह एक क ननफवल थ जह ाँ
र इड थी जो गोल–गोल घूम रही थी। हम उस र इड की ल इन में ज कर खड़े हो गए। वह ाँ से बच्चों के
गचल्ल ने की आव ज मेरे क नों में गूाँजने लगी और मेर पूर शरीर क ाँपने लग । क ननफवल खत्म होने के ब द
घुसते ही लोगों की ऐसी भीड़ टदख ई दी कक ज़जसको प र कर प न भी मुज़श्कल लग रह थ ।
अब ब री थी खेल टदवस की। मैं और मेरी सहेली दोनों ने ही दौड़ प्रनतयोगगत में भ ग शलय थ । ज़जन लोगों
मैं क ननफवल में ज ऊाँ और ख ने-पीने की स्िॉल पर न ज ऊाँ ऐस तो हो ही नहीां सकत । इसशलए मैंने
ने प्रनतयोगगत में भ ग शलय थ उन लोगों को चेंज़जांग रूम में ज न थ । हम दोनों क स्वभ व निखील थ
ख नप न के स्िॉल की तरफ अपने कदम बढ़ ने शुरू कर टदए। तभी एक गांध मेरी न क तक पहाँची और उसे
ु
और हमें इसमें भी शैत नी करने क एक मौक शमल ही गय । हमने सोच कक हम उस रूम में ककसी को
बांद कर देंगे। इससे शलए स री तैय री हो गई थी। जब सब लोग ब हर ननकल ज एाँगे तब मेरी सहेली ककसी लोग खेलों की तरफ बढ़े। हम रे आगे एक बहत ऊाँ ची
सूाँघते ही मेरे मुाँह में प नी आ गय । ख -पीकर हम
ु
को बांद करके भ ग ज एगी। मैं ऊपर मैद न में चली गई और मेरी सखी अपने क म के शलए ननकल पड़ी।
र इड थी जो गोल–गोल घूम रही थी। हम उस र इड की ल इन में ज कर खड़े हो गए। वह ाँ से बच्चों के
दौड़ शुरू होने व ली थी और मेरी सखी मुझे कहीां भी टदख ई नहीां दे रही थी। दौड़ की प्रनतयोगगत सम प्त
गचल्ल ने की आव ज मेरे क नों में गूाँजने लगी और मेर पूर शरीर क ाँपने लग । क ननफवल खत्म होने के ब द
हई और मैं उसमें प्रथम आई। क ु छ देर ब द मेरी सखी चेंज़जांग रूम से ब हर ननकलते हए टदख ई दी और मेरे
ु
ु
अब ब री थी खेल टदवस की। मैं और मेरी सहेली दोनों ने ही दौड़ प्रनतयोगगत में भ ग शलय थ । ज़जन लोगों
ऊपर गचल्ल ने लगी। उसे लग रह थ कक जीतने के शलए मैंने ककसी और से बोलकर उसे कमरे में बांद कर
टदय थ त कक मैं प्रनतयोगगत जीत सक ूाँ । मैंने उसे समझ ने की बहत कोशशश की परांतु गुस्से की ह लत में
ने प्रनतयोगगत में भ ग शलय थ उन लोगों को चेंज़जांग रूम में ज न थ । हम दोनों क स्वभ व निखील थ
ु
उसे मेरी ब त समझ ही नहीां आ रही थी। उस टदन से आज तक हमने ब त नहीां की है। उस टदन की एक
और हमें इसमें भी शैत नी करने क एक मौक शमल ही गय । हमने सोच कक हम उस रूम में ककसी को
स ध रण सी घिन ने हम दोनों के बीच गलतफहमी की एक ऐसी दीव र खड़ी कर दी कक आज एक स ल
बांद कर देंगे। इससे शलए स री तैय री हो गई थी। जब सब लोग ब हर ननकल ज एाँगे तब मेरी सहेली ककसी
ब द भी वह िूि नहीां सकी है।
को बांद करके भ ग ज एगी। मैं ऊपर मैद न में चली गई और मेरी सखी अपने क म के शलए ननकल पड़ी।
दौड़ शुरू होने व ली थी और मेरी सखी मुझे कहीां भी टदख ई नहीां दे रही थी। दौड़ की प्रनतयोगगत सम प्त