Page 183 - BEATS Secondary School
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कहािी
कहािी
माँ का ख्याल
माँ का ख्याल
इमरो इिाम, कक्षा 9 इमरो इिाम, कक्षा 9
आजकल के शोरगुल में हर तरफ लड़ ई-झगड़ होत न र आत है। सड़क पर चलते हए भी हर तरफ से
ु
आजकल के शोरगुल में हर तरफ लड़ ई-झगड़ होत न र आत है। सड़क पर चलते हए भी हर तरफ से
कोई न कोई लड़ जरूर रह होत है। कभी कोई पुशलस अफसर पर चीख रह होत है तो कभी ककसी के ु
म त -पपत अपने बच्चों को ड ांि रहे होते हैं। इसी शोरगुल में मैं भी अपने म त -पपत के ब रे में सोचने
कोई न कोई लड़ जरूर रह होत है। कभी कोई पुशलस अफसर पर चीख रह होत है तो कभी ककसी के
लग । मैं अभी-अभी ऑकफस से छ ू ि थ जब म ाँ क फोन आय । बहत थक गय थ तो फोन क ि टदय ।
ु
म त -पपत अपने बच्चों को ड ांि रहे होते हैं। इसी शोरगुल में मैं भी अपने म त -पपत के ब रे में सोचने
तभी मैंने एक छोिे बच्चे को रोते हए सुन । मुझे अपन बचपन य द आ गय जब मैं म ाँ क पल्लू खीांचकर
ु
उन्हें रांगीन खखलौने व ली दुक न की तरफ खीांचत और म ाँ मुझे कोई खखलौन टदलव कर घर पर अपने ह थ
लग । मैं अभी-अभी ऑकफस से छ ू ि थ जब म ाँ क फोन आय । बहत थक गय थ तो फोन क ि टदय ।
से बन ई गोल-गोल रोटिय ाँ खखल य करती थी। ु
अब अपने ख्य लों से अपने वतफम न में आ गय और ऑकफस से ननकलते ही मैंने ऑिो पकड़ । ऑिो लेकर
तभी मैंने एक छोिे बच्चे को रोते हए सुन । मुझे अपन बचपन य द आ गय जब मैं म ाँ क पल्लू खीांचकर
ु
मैं घर की ओर चल टदय । ब हर वही रोज-रोज की घर-घर की आव ज! मैंने घर पहाँचकर देख कक म ाँ एक
ु
उन्हें रांगीन खखलौने व ली दुक न की तरफ खीांचत और म ाँ मुझे कोई खखलौन टदलव कर घर पर अपने ह थ
कमरे में बेहोश पड़ी है और उसके ह थ में फोन की घांिी टरांग-टरांग कर रही थी। मुझे समझ में नहीां आ रह
थ कक पपत जी क फोन उठ ऊाँ य क्य करूाँ । मैंने म ाँ को उठ ने की कोशशश की और पपत जी से ब त करत
से बन ई गोल-गोल रोटिय ाँ खखल य करती थी।
रह । फोन पर मेर टदल जोर-जोर से धड़कने लग । जैसे-तैसे मैं म ाँ को अस्पत ल लेकर पहाँची। वह ाँ पहाँचकर
ु
ु
अब अपने ख्य लों से अपने वतफम न में आ गय और ऑकफस से ननकलते ही मैंने ऑिो पकड़ । ऑिो लेकर
डॉक्िर ने म ाँ क इल ज ककय । डॉक्िर ने बत य कक म ाँ क बीपी बहत कम हो गय थ । जब म ाँ को होश
ु
आय तो उन्होंने मुझे अपने प स बुल कर बड़े प्य र से मेरे शसर पर ह थ फे रते हए कह , ‘बेि ! तुम्हें पत
ु
मैं घर की ओर चल टदय । ब हर वही रोज-रोज की घर-घर की आव ज! मैंने घर पहाँचकर देख कक म ाँ एक
ु
है जब मैंने तुम्हें फोन ककय थ , तब मैं जमीन पर गगर गई थी। मेर बीपी बहत लो हो चुक थ । अगर तू
ु
कमरे में बेहोश पड़ी है और उसके ह थ में फोन की घांिी टरांग-टरांग कर रही थी। मुझे समझ में नहीां आ रह
आज समय पर न आय होत तो श यद आज यह मेर आखखरी टदन होत । अस्पत ल में च रों तरफ मरीज
ही मरीज टदख ई दे रहे थे। कोई रो रह थ , कोई इल ज कर रह थ । च रों तरफ भ गमभ ग मची हई थी।
ु
थ कक पपत जी क फोन उठ ऊाँ य क्य करूाँ । मैंने म ाँ को उठ ने की कोशशश की और पपत जी से ब त करत
म ाँ की ब तें सुनकर मुझे समझ में आय कक आज की इस भ गदौड़ भरी ज़जांदगी में क ु छ भी हो ज ए लेककन
रह । फोन पर मेर टदल जोर-जोर से धड़कने लग । जैसे-तैसे मैं म ाँ को अस्पत ल लेकर पहाँची। वह ाँ पहाँचकर
हमें अपनों क ख्य ल जरूर रखन च टहए। म त -पपत अपने बच्चों की बहत परव ह करते हैं और वही उनक ु ु
ु
स थ देते हैं। म त -पपत हमेश अपने बच्चों क स थ देते हैं और उनके स थ रहते हैं। अगर कभी म त -पपत
डॉक्िर ने म ाँ क इल ज ककय । डॉक्िर ने बत य कक म ाँ क बीपी बहत कम हो गय थ । जब म ाँ को होश
ु
गुस्से में बच्चों को ड ांि भी देते हैं तो इसक अथफ यह नहीां होत कक म त -पपत अपने बच्चों से प्रेम नहीां
करते। उनकी ड ांि में भी उनक प्रेम छ ु प होत है। इस घिन को आज दो स ल पूरे हो गए। आज लगत है ु
आय तो उन्होंने मुझे अपने प स बुल कर बड़े प्य र से मेरे शसर पर ह थ फे रते हए कह , ‘बेि ! तुम्हें पत
कक इतन स र क म करते हए अपने घरव लों व दोस्तों के प्य र को हमें कभी नहीां भूलन च टहए ।
ु
है जब मैंने तुम्हें फोन ककय थ , तब मैं जमीन पर गगर गई थी। मेर बीपी बहत लो हो चुक थ । अगर तू
ु
आज समय पर न आय होत तो श यद आज यह मेर आखखरी टदन होत । अस्पत ल में च रों तरफ मरीज
ही मरीज टदख ई दे रहे थे। कोई रो रह थ , कोई इल ज कर रह थ । च रों तरफ भ गमभ ग मची हई थी।
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म ाँ की ब तें सुनकर मुझे समझ में आय कक आज की इस भ गदौड़ भरी ज़जांदगी में क ु छ भी हो ज ए लेककन
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हमें अपनों क ख्य ल जरूर रखन च टहए। म त -पपत अपने बच्चों की बहत परव ह करते हैं और वही उनक
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स थ देते हैं। म त -पपत हमेश अपने बच्चों क स थ देते हैं और उनके स थ रहते हैं। अगर कभी म त -पपत
गुस्से में बच्चों को ड ांि भी देते हैं तो इसक अथफ यह नहीां होत कक म त -पपत अपने बच्चों से प्रेम नहीां
करते। उनकी ड ांि में भी उनक प्रेम छ ु प होत है। इस घिन को आज दो स ल पूरे हो गए। आज लगत है
कक इतन स र क म करते हए अपने घरव लों व दोस्तों के प्य र को हमें कभी नहीां भूलन च टहए ।
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