Page 178 - BEATS Secondary School
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इमरो इिाम की कविता पूजा यादि की कविता
कक्षा 9 कक्षा 9
ढूाँढ़ती रही हाँ मैं
ू
क्य खूब है न यह तन्ह ई
वो दोस्त, वो बचपन
जो एक ब तूनी इांस न के होठों पर भी त ल लग
छोिी-छोिी खुशशयों में हाँसन ,
दे,
हमेश से खखलखखल ती फ ू ल सी मुस्क न को सुख रो देन चोि जो लगे
दे कोई थे भैय , कोई थे च च
एक हौंसले देने व ले की उम्मीद भी छीन ले हर कोई जैसे हो अपने
हमेश शसर ऊाँ च रखने व ले की भी नजरें झुक दे
प प से डरन पर म ाँ से वो लड़न
यही है तन्ह ई
करके च ल की कफर उलझन में पड़न
पर क्य च हती है यह तन्ह ई
न कोई गम थ न कोई डर थ
पीछ क्यों नहीां छोड़ती यह तन्ह ई
क्य ये दोस्तों की खोज में है बस खेल-खखलौनों की कफक्र थी
य ककसी न र अपने की खोज में है बचपन क हर पल होत है अनोख
ये तनह ई ...
...
तिीशा की कविता
ध्रुि फ़रासी की कविता
कक्षा 9
कक्षा 9
क्य कभी सोच है
बचपन आत है
मृत्यु के ब द कह ाँ ज ओगे तुम?
कफर चल ज त है
क्य ज ओगे स्वगफ में?
मौज-मस्ती के वो टदन
पूरी ज़जांदगी स थ रहते हैं
य हो ज ओगे धरती पर ही खत्म?
बुढ़ पे के समय कफर वही टदन तो य द आते हैं
क श! कोई लौि दे वही
डर है मुझे
बचपन के टदन
क्य होग मेरे स थ
...
करेग क्य कोई मुझे भी य द
य बन कर रह ज ऊाँ गी मैं कोई फररय द
जीवन के इस चक्रव्यूह में जो आय है
वह कभी तो ज एग
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