Page 185 - BEATS Secondary School
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कहािी


           कहािी
                                              िह लड़का
           िह लड़का
                                              तृज़तत कौर, कक्षा 8
           तृज़तत कौर, कक्षा 8


           आज कफर उन्हीां दबी-दबी सी आाँखों में ददफ क  पद फ गगर  हआ थ । आाँखों की पलकों में जैसे ओस की बूांदें
                                                                 ु
                                              आज कफर उन्हीां दबी-दबी सी आाँखों में ददफ क  पद फ गगर  हआ थ । आाँखों की पलकों में जैसे ओस की बूांदें
           छलक रहीां थी। आाँखें कफर सूज आई थीां। कफर रो  की ही तरह, ठांडी बूांदें गरम ग ल पर न व की तरह                            ु
           अपन  र स्त  ढूाँढतीां थीां। शसर पकड़ कर, आाँखें नीची ककए, पीठ झुक ए, ठांडे फ़शफ पर बैठ  वह अपने आप को
                                              छलक रहीां थी। आाँखें कफर सूज आई थीां। कफर रो  की ही तरह, ठांडी बूांदें गरम ग ल पर न व की तरह
           सहल त । अपनी लड़खड़ ती आव   को कभी ब हर ही न ज ने देत । श यद वह अपनी आव ज को अपने
           ह थों से  दब ने में इतन  म टहर हो गय  थ  कक वह उसे अपने आप से भी छ ु प  लेत । मुाँह इतन  सूख ज त
                                              अपन  र स्त  ढूाँढतीां थीां। शसर पकड़ कर, आाँखें नीची ककए, पीठ झुक ए, ठांडे फ़शफ पर बैठ  वह अपने आप को
           कक वह अपन  दुख भी चख नहीां प त । न क बबल्क ु ल बांद हो ज ती और फ ू लों की खुशबु भी उस तक नहीां
                                              सहल त । अपनी लड़खड़ ती आव   को कभी ब हर ही न ज ने देत । श यद वह अपनी आव ज को अपने
           आती। वह पांद्रह वर्फ क  लड़क  थ , न म थ  युद्धवन, पर वह कभी तो आठ स ल के  बच्चे जैसी हरकत

           करत , तो कभी अपनी कपवत ओां में च लीस स ल क  प्रौढ़ न र आत । उसके  अल व  उसके  घर में शसफफ
                                              ह थों से  दब ने में इतन  म टहर हो गय  थ  कक वह उसे अपने आप से भी छ ु प  लेत । मुाँह इतन  सूख ज त
           उसके  म त -पपत  थे। उसक  स्क ू ल घर से क ु छ ही मील दूर थ  इसशलए वह स्क ू ल चलकर ही ज त । उसे
                                              कक वह अपन  दुख भी चख नहीां प त । न
           अपने पवद्य लय क  म हौल क ु छ ख स अच्छ  नहीां लगत  थ । कक्ष  में भी कोई उससे ज्य द  ब त नहीां क बबल्क ु ल बांद हो ज ती और फ ू लों की खुशबु भी उस तक नहीां
           करत  थ । बस एक ही शमत्र थ  उसक , पर वह भी उसकी इतनी कफ़क्र नहीां करत  थ ।
                                              आती। वह पांद्रह वर्फ क  लड़क  थ , न म थ  युद्धवन, पर वह कभी तो आठ स ल के  बच्चे जैसी हरकत
           लेककन ऐस  हमेश  से नहीां थ । तेरह स ल की उम्र तक वह सबसे ब त करत  थ । वह अपने दोस्तों के  स थ
           फ ु िबॉल, ब स्के िबॉल तथ  कक्रके ि खेलन  पसांद करत  थ । वह पढ़ ई में भी क फी अच्छ  थ ।
                                              करत , तो कभी अपनी कपवत ओां में च लीस स ल क  प्रौढ़ न र आत । उसके  अल व  उसके  घर में शसफफ
           लेककन चौदहवें जन्मटदन पर युद्धवन  बदल स  गय । अब उसे अस म न्य  बुल य  ज त  थ । उसे कह  ज त
                                              उसके  म त -पपत  थे। उसक  स्क ू ल घर से क ु छ ही मील दूर थ  इसशलए वह स्क ू ल चलकर ही ज त । उसे
           थ  कक वह  एक लड़क  नहीां है बज़ल्क एक लड़की है। शोर!  इसी शोर के  क रण  उसने अपने क न बांद कर

           शलए थे। लेककन आप ककतन  भी तेज क्यों न  भ ग लें, आप अपने ख्य लों से नहीां भ ग सकते। वही हआ।
                                              अपने पवद्य लय क  म हौल क ु छ ख स अच्छ  नहीां लगत  थ । कक्ष  में भी कोई उससे ज्य द  ब त नहीां
                                                                                                         ु
           शोर चलत  रह । कभी उसे अजीब सी हाँसी सुन ई देती तो कभी लोग क ु छ न क ु छ बोल ज ते। युद्धवन
                                              करत  थ । बस एक ही शमत्र थ  उसक , पर वह भी उसकी इतनी कफ़क्र नहीां करत  थ ।
           दूसरी ओर बैठ  ही रह ज त , खुल  मुाँह करके , जैसे उसे उनकी करतूतों पर हैर नी होती हो।
           एक स ल बीत गय । समय ह थ  में रेत की तरह  कफसलत  ही चल  गय । पर युद्धवन की सेहत टदम गी
                                              लेककन ऐस  हमेश  से नहीां थ । तेरह स ल की उम्र तक वह सबसे ब त करत  थ । वह अपने दोस्तों के  स थ
           तौर पर  खर ब होने लगी थी। इतनी खर ब कक वह हर पल मौत के  ख्य ल में डूबत  उतर त  रहत । देखने
                                              फ ु िबॉल, ब स्के िबॉल तथ  कक्रके ि खेलन  पसांद करत  थ । वह पढ़ ई में भी क फी अच्छ  थ ।
           व ली ब त तो यह थी कक ककसी को उसकी कोई गचन्त  ही नहीां थी।
           कफ़र एक टदन, सूरज ने परदों में लुक छ ु पी खेलकर अपनी सूरत सबको टदख ई। सूरज की ककरणें युद्धवन के
                                              लेककन चौदहवें जन्मटदन पर युद्धवन  बदल स  गय । अब उसे अस म न्य  बुल य  ज त  थ । उसे कह  ज त
           पवद्य लय में मेहम न बनकर अांदर आईं तो उन्होने देख  कक आज वह पवद्य लय ही नहीां आय  थ ।
                                              थ  कक वह  एक लड़क  नहीां है बज़ल्क एक लड़की है। शोर!  इसी शोर के  क रण  उसने अपने क न बांद कर
           युद्धवन तो आज अपने बबस्तर में अपन  खून सोख रह  थ । अब उसे क्य  परव ह कक एक नई च दर पर
           ल ल रांग लग ज ए?
                                              शलए थे। लेककन आप ककतन  भी तेज क्यों न  भ ग लें, आप अपने ख्य लों से नहीां भ ग सकते। वही हआ।
                                                                                                                                                                                                  ु
                                              शोर चलत  रह । कभी उसे अजीब सी हाँसी सुन ई देती तो कभी लोग क ु छ न क ु छ बोल ज ते। युद्धवन

                                              दूसरी ओर बैठ  ही रह ज त , खुल  मुाँह करके , जैसे उसे उनकी करतूतों पर हैर नी होती हो।



                                              एक स ल बीत गय । समय ह थ  में रेत की तरह  कफसलत  ही चल  गय । पर युद्धवन की सेहत टदम गी


                                              तौर पर  खर ब होने लगी थी। इतनी खर ब कक वह हर पल मौत के  ख्य ल में डूबत  उतर त  रहत । देखने

                                              व ली ब त तो यह थी कक ककसी को उसकी कोई गचन्त  ही नहीां थी।


                                              कफ़र एक टदन, सूरज ने परदों में लुक छ ु पी खेलकर अपनी सूरत सबको टदख ई। सूरज की ककरणें युद्धवन के
                                                                                                   page - 185

                                              पवद्य लय में मेहम न बनकर अांदर आईं तो उन्होने देख  कक आज वह पवद्य लय ही नहीां आय  थ ।


                                              युद्धवन तो आज अपने बबस्तर में अपन  खून सोख रह  थ । अब उसे क्य  परव ह कक एक नई च दर पर

                                              ल ल रांग लग ज ए?
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