Page 81 - BEATS: Secondary School Edition 2020-21
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अचधक पररश्म करना पड़ता था। वैसरे भरी हमारी शुरुआत वहरीों सरे हुई ह। चिकनरी हुआ करतरी थरीों। उन पर हम लयग पबना ब्ुश क हरी काम कक्ा
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क्योंकक हम पहलरे दीवारयों पर हरी परेोंटिोंग का काम कक्ा करतरे थरे। वय भरी करतरे थरे। लरेककन अब क्ा ह न कक कनवास का जमाना ह, और कनवास
हमार ललए तय बहुत अच्ा माध्म था। उसमरेों काम करनरे का अपना एक हों परेपर तय इनमरेों तय मैों पबलकल समूथ ब्ुश का हरी प््यग करतरी हँ इस
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अलग हरी मज़ा था। अब क्ा हय ग्ा ह कक जय दीवार पर काम करतरे थरे प्कार क ब्ुश हमरेों आसानरी सरे माककि मरेों चमल जातरे हों। मैों उनहरीों का
वह उस जगह तक हरी ससमि कर रह जाता था। हम उस दीवार कय तय इसतरेमाल करतरी हँ।
कहरीों लरे जा नहरीों सकतरे। इस पर ककए गए का््य कय हम कहरीों भरी और
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कभरी भरी बड़ी आसानरी सरे लरे जा सकतरे हों। वैसरे भरी कनवास पर काम आजकल क सम् में चचत्रों की दुक्न्ा में प्रतीकातमकता बहुत
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करना बहुत आसान हयता ह और जय लयग इस चित्रकला कय नहरीों दख पा हािी हो चकी है। क्ा इसका कोई असर गोंड चचत्रकला पर
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रह उन तक भरी कनवास क माध्म सरे ्ह कला आसानरी सरे पहुँिाई जा पड़ा है? इस स्दभ्य में आपका क्ा कहना है?
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सकतरी ह। इसका एक और लाभ हमरेों ्ह चमला कक हम एक जगह ककए जरी, गयोंड चित्रकला तय शुरू सरे हरी अपनरे आप मरेों सपष्ट रहरी ह। सम् क
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काम कय बड़ी सरलता सरे दूसरी जगह टदखा भरी सकतरे हों। ै साथ-साथ उसमरेों कछ बदलाव भरी आए हों। इस बदलाव सरे उसकी
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परपरा मरेों ककसरी प्कार का कयई बदलाव नहरीों आ्ा ह। ्ह कला सम्
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एक कलाकार को टकस प्रकार की चनौवत्ों का सामाना सरे साथ बदलतरी अवश् ह ककनतु इसनरे कभरी भरी अपनरी परपरा नहरीों
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करना पड़ता है जब िह पेंटिंग कर रहा होता है? छयड़ी। ्हरी कारण ह कक आज भरी लयग उसरे उसरी प्कार पसद करतरे हों ै
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जरी दखख्रे, हम लयग जय परेोंटिोंग करतरे हों वह हमारी एक परपरा ह। जैसरे पहलरे कक्ा करतरे थरे। जब मैों गयोंड कला का प््यग करतरे हुए कयई
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और हाँ हमारी जय कहाटन्ाँ हों जैसरे आटदवासरी कहाटन्ाँ। इन कहाटन्यों कलाकारी करतरी हँ तय लयग उसरे दखकर समझ जातरे हों कक हाँ ्ह गयोंड
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का जय माहौल ह उसक ऊपर हम काम करतरे हों। लरेककन अब क्ा ह कक चित्रकारी ह।
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हम शहर मरेों रहतरे हों, शहर का माहौल दखतरे हों और टिर कई ऐसरी
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घिनाए जय हमार मन मरेों ्ा टदमाग मरेों बैठ जातरी ह तब ऐसा लगता ह आपको जब टिककी की तरि से ‘्ग िमन अिाड’ चमला था
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कक हमरेों उस घिना कय अपनरी परेोंटिोंग मरेों उतारना िाटहए। हमरेों जय एक उस सम् ्दि क गहमत्री श्ी राजनाथ ससंह ने आपक नाम से
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शहरी माहौल चमल रहा ह, उस परपरा कय अपनरी परपरा कय जयड़तरे हुए सबंचधत लजज्ासा प्रकि की थी। िैसे तो जापान एक ्दि का
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जय काम करना हयता ह वह िुनौतरीपूण्य हयता ह। इस माहौल मरेों हमार नाम है परत ्हाँ आपक नाम में भी जापान है। ्ह िब्द
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सामनरे ्हरी प्श्न हयता ह कक हमरेों अपनरी परपरा कय का्म रखतरे हुए नए आपक नाम क साथ कसे और कब जड़ा? आप इस स्दभ्य में
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बदलाव क सामनरे कसरे जाना ह। कछ कहना चाहेंगी?
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उस अवाड िकशन मरेों जब मरेरी मुलाकात राजनाथ जरी सरे हुई थरी तब
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कला जो गाँि ्ा टिर कहें टक जो उसका पारपररक इलाका उनहयोंनरे चमलतरे हरी ्हरी प्श्न कक्ा था, इस सदभ्य मरेों मैोंनरे उनहों बता्ा कक मरेर रे
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था, िहाँ से जब िह िहर में ्ा महानगर में पहुँचती है तब िहाँ नाम क साथ जापानरी शबद कसरे आ जुड़ा? दरअसल मरेर पपताजरी बहुत
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क विष्ों को आप आपनी इस कला में कसे िाचमल करते बड़ चित्रकार थरे, चित्रकारी क ससलससलरे मरेों पवदशयों मरेों उनका आना-जाना
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होंगे? ्ह भी अपने आप में एक रचनातमक और चनौतीपण्य लगा रहता था। इस दौरान जब वरे पहलरी बार जापान गए तय उनहों जापान
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काम होता होगा? बहुत अच्ा लगा। उसरी सम् मरेरा भरी जन्म हुआ था तय उनहयनरे अपनरी
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आपकय सि बताऊ तय पहलरे हमारी कला मरेों जय हमार आटदवासरी इसरी खुशरी मरेों मरेरा नाम भरी जापानरी रख टद्ा, असल मरेों नाम तय जापान
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दवरी-दवता थरे, वय बनाए जातरे थरे। लरेककन उसक बाद हमार गाँव मरेों लजस रखा था ककनतु धरीर-धरीर जापान शबद जापानरी हय ग्ा। और आज ्हरी
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प्कार की कलाकारी की जातरी थरी वह हम लयगयों की परेोंटिोंग मरेों आ गई। जापानरी नाम मरेरी पहिान ह।
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जब परेोंटिोंग शुरू हुई तय वहाँ हमार दवरी-दवता बनरे हुए थरे लरेककन उसक रे
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बाद जब हम शहर मरेों आए तय हमारी परेोंटिोंग मरेों परेड़-पौधरे बननरे लगरे, आपने अपना कीमती िकत हमें ट्द्ा इसक ललए आपका
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जानवर बननरे लगरे, और अब धरीर-धरीर करक हम दख रह हों कक हमारी बहुत-बहुत धन्िा्द।
परेोंटिोंग मरेों हवाई जहाज़ बन रह हों, ि्रेन बन रहरी ह, ररक्ा बन रह हों । इस जरी आप सबका भरी धन्वाद।
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प्कार सम् क साथ-साथ जय बदलाव हय रह हों वरे ककसरी िुनौतरी सरे कम
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नहरीों हों। (DPSI क छात्रों द्ारा लिए गए इस साक्ातकार क्र कक्ा 8 क
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छात आरव, ऋततवक और ख्ाति द्ारा लिपिबद्ध कक्ा ग्ा।)
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आप अपनी चचत्रकारी क ललए टकस प्रकार क ब्ि का प्र्ोग
करती हैं? Interviewed by Niharika Awasthi, MYP 1
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दखख्रे अब दीवारयों पर तय काम हयता नहरीों ह, क्योंकक पहलरे चमट्री की
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दीवारों हुआ करतरी थरीों। चमट्री की दीवार हयनरे क कारण वरे तय पहलरे सरे हरी
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