Page 114 - Secondary School BEATS
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सपने मत छोड़ो
आपका सपिा क्ा ह...मैुझे िहीं पता। मैुझे परवाह िहीं तक आप उस सपिे को पूरा करिे
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क निए तकतिी बार िाकामैयाब हुए ह, पर आपका ये तवश्ास रखेिा जरूरी ह तक य े
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असंम्भव िहीं ह और मैेरा ये तवश्ास ह तक आप मैें भी कछ ऐसी बात ह तक आप अपिा कोकिड क बाद मेरी पहली यात्ा
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िक्ष्, अपिा सपिा पूरा कर सकते ह। अपिे जीवि मैें पररवत्थि को अपिािा मैुश्किि ह,
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करठि ह पर असम्भव िहीं ह। अपिे सपिों को पािे की इस करठि राह मैें बहुत-सी
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कोतवि िॉकिाउि क बाद मैेरी पहिी यात्ा हवाई यात्ा र्ी। मैेरा पररवार और मैैं परटयािा जा
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असफ़िताए, निराशा आएगी ितकि उस समैय आपको अगधक पररश्रमै करिे की
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रह र्े। जहा मैेरे दादी-दादा रहते र्े। परटयािा मैें कोई एयरपोट िहीं ह, इसनिए हमै चंिीगढ़
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आवश्कता पड़गी। उस समैय एक ऐसा भी मैोड़ आएगा जब आपको अपिे आप पर संदह
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का जहाज िकर वहां पहुचें। गाड़ी की सवारी मैें बैठ गए और 2 घंट क बाद उिक घर पहुच
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होगा। आप शायद ये भी सोचें तक ह भगवाि! मैैंिे ऐसा क्ा तकया ह तक तुमैिे मैुझे ऐसी
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गए। यह र्काि वािी यात्ा र्ी क्ोंतक हमै मैुंबई से आ रह र्े ितकि मैैं बहुत उत्ारहत र्ी
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पररस्स्तत मैें िाि ददया। एक तरफ़ कआ तो एक तरफ खेाई परन् ये भी उसी यात्ा का क्ोंतक मैैं इतिी ददिों बाद पूरे पररवार को नमैििे वािी र्ी। वहां पहुचिे क बाद हमै सबसे
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एक रहस्ा होता ह और इसका मैीठा फि आपको अपिे मैुकामै तक पहुचिे पर ही नमैिगा नमैि और र्ोड़ी बातचीत की। मैुझे बहुत मैज़ा आया मैेरे भाई- बहि को नमैििे क बाद। दफर
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वो कहते ह िा सब् का फि मैीठा होता ह। ै हमै बाहर बैठिे गए र्े और परटयािा क अच्ी मैौसमै क सार् मैज़ा कर रह र्े। अगि ददि,
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हमै िच क निए परटयािा क सबसे अच् ढाबा मैें गए र्े और हमैिे बहुत स्ाददष्ट छोि
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चाह कछ भी हो ये यात्ा जो तुमैिे शुरू की ह, इसे ख़त्म तकए तबिा पीछ मैत हटिा। मैुश्किि भट ू रे खेाए। वातपस आकर, आरामै करिे क बाद, मैेरे चाचू मैुझे और मैेरे भाई-बहि को बाज़ार
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समैय आएगा ितकि वह जीविभर सार् रहिे िहीं बल्कि बीतिे को आएगा, क्ोंतक इस िकर गए, ददवािी की सजािे वािी चीज और खेरीदिे क निए। इसक बाद हमै आईसक्ीमै
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जीवि मैें स्ाई तो कछ भी िहीं ह। सफ़िता कोई ऐसी मैहाि या अद्त वस् िहीं ह, जो खेािे गए र्े क्ोंतक परटयािा की दोपहर से हमैे बहुत गमैटी िग रही र्ी।
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हमैारे बीच बस कोई तवशेष व्यगति ही पा सक। ये एक ऐसी चीज़ ह शजसे पािे की कातबनियत
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बाज़ार से वातपस आकर हमैिे घर का सजवाट करिा शुरू तकया। हमैिे छत पर िाइट्स
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हमै सभी मैें ह, बस दर ह तो आपक उठिे की, अपिी मैशज़ि की ओर एक कदमै बढ़ािे की।
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िािी, दीवारों और ज़मैीि पर फि िाि और रंगोिी बिाई। मैुझे बहुत मैज़ा आया। दफर हमैिे
राष्ट्कतव ‘मैैर्िीशरण गुप्त जी’ की कही ये पगतियाूँ मैेरे मैि मैें आशा की िई तकरण
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आरती शुरू की। आरती और पूजा करिे क बाद हमै ददवािी की उत्व शुरू करिे क निए
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उत्पन्न कर दती ह। ैं
छत पर गए। हमैिे बहुत मैज़ा तकया और पटाखेें भी जिाए। छत से सब कछ ददखे रहा र्ा और
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सब िोग अपिे अपिे घर मैें मैज़ा कर रह र्े। यह ददवािी मैेरी सबसे अच्ी ददवािी र्ी
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‘कछ काम करो कछ काम करो, जग में रहकर कछ नाम करो।
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पररवार क सार् मैज़ा करिा। इसनिए यह यात्ा मैेरा सबसे अच्ी यात्ा ह, मैैंिे पररवार क
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यह जान हुआ ककस अर््थ अहो, समझो जजसमें यह व्यर््थ न हो।’
सार् मैज़ा तकया और परटयािा का मैौसमै और खेािा का मैज़ा निया।
इसीनिए मैैं ये मैािती हू और अपिे जीवि को भी ऐसे ही दखेती हू तक कभी सपिे िहीं इिाया खेन्ना
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छोड़िे चारहए। सपिे हमैें उड़ाि दते ह और हमैारी पहचाि को एक िया मैुकामै दते ह ैं उम्र 12
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शजिक पीछ सब भागते ह वो ही सपिा आपको उि ऊचाईयों पर िकर जाता ह जहा से सब कक्ा आठवीं
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कछ साफ़ िज़र आता ह। ै िीपीएस इन्टरिेशिि स्ि
गुरुग्ामै
ररद्धि शमैा्थ
उम्र 13
कक्ा आठवीं
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िीपीएस इन्टरिेशिि स्ि
गुरुग्ामै
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