Page 117 - Secondary School BEATS
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मेरी धमाकदार डरािनी पहली
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रेलयात्ा मेरी पहली गोिा यात्ा
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जूि 2022 की बात ह, मैैं ददल्ी से गोवा पहिी बार जा रही र्ी मैि मैें रोमैांच और उत्ाह
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जैसे ही मैैंिे सुिा तक मैैं स्ि कम्प मैें ििीताि जािे वािा हू तो बहुत उत्ारहत
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का नमैिाजुिा भाव र्ा। शजस ददि हमैें गोवा जािा र्ा हमै इददरा गाधी एयरपोट गए -
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हुआ। यह सुिकर मैेरा ददि जोर से धड़क रहा र्ा। वे ददि बहुत मैुश्किि से कट
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वहां बहुत ज्ादा भीड़ र्ी। मैि मैें र्ा तक यह भीड़ जल्ी खेत्म हो और मैैं गोवा पहुच जाऊ
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ितकि वो ददि भी आ ही गया जब मैुझे स्ि की तरफ से िैिीताि जािा र्ा, तकसी तरह मैि को शांत तकया और जहाज़ मैें बैठ गए। बादिों से होते हुए हमै गोवा पहुचें।
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हमैिे जल्ी से सामैाि बांधा और स्ि क निए निकि। आज मैैं सुबह 3 बजे जब हमै हवाई जहाज़ से बाहर आए, तो एक पि क निए मैैं वही रुक गईl गोवा बहुत
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उठा, जल्ी से तैयार हुआ र्ा। मैुझे िगा मैैं िट हू ितकि स्ि पहुच कर मैैंिे खेूबसूरत और स्च् सा प्तीत हो रहा र्ा, खेिी हवा मैें साूँस ििा एक अिग प्कार का
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अपिे दोस्ों को दखेा तो राहत की साूँस िी। मैुझे घर से दूर अकि जािे मैें अिुभव र्ाl बाहर आते ही हमैिे टक्ी िी और अपिे होटि चि गएl रास् मैें मैैं वहां क
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िोगों को और सैिानियों को दखेा वहां सारे िोग आरामैदायक कपड़ पहिे हुए र्े- हमैारे
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घबराहट हो रही र्ी और जब मैैंिे अपिे दोस्ों से बात की तो मैुझे कछ हकिा
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ददल्ी और गुरुग्ामै मैें हमै ऐसे िहीं घूमै सकते र्ेl जैसे-जैसे टक्ी भाग रही र्ी वैसे-
मैहसूस हुआ। मैेरे एक दोस् िे बताया तक वह कम्प िहीं जा रहा ह क्ोंतक
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वैसे समैन्दर को दखेिे की इच्ा भी तेज़ हो रही र्ी। हमै अपिे रहिे की जगह पहुच गये
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अयोध्ा तववाद का कछ मैसिा र्ा और उसिे कहा तक दगे हो सकते ह। मैैं और वहां पहुचते ही हमैें एक बहुत स्ाददष्ट ठिाई नमैिी जो वहां का पारम्पररक पेय पदार््थ
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उसकी बात सुिकर घबरा गया ितकि दफर भी हमै जा रह र्े, हमै बस मैें बैठ ह शजसे गोवा क िोग को 'कोकमै' कहते ह, उसमैें िाररयाि क पािी और गन्ने क रस
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और स्शि गए। ट्ि मैें बैठते ही आरामै नमैिा क्ोंतक स्शि पर िाइि मैें हमैें का नमैश्रण र्ा वह बेहद स्ाददष्ट और आिंद दिे वािा पदार््थ र्ा। उस ददि हमै बहुत घूमैें।
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1 घंटा रुकिा पड़ा र्ा। हमै कम्प िीिर क सार् बैठ र्े, ट्ि चििे ही वािी र्ी चच्थ, समैंदर का तकिारा, मैंददर और रास्ों क बाज़ार को जी भर दखेा। घूमैिे क बाद हमै
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तक हमैारे कम्प िीिर का फोि बजा। कम्प िीिर िे कहा तक हमैें ट्ि से तुरंत र्क गए रात को बहुत अच्ी िींद आई, हमै अगि ददि हमैिे अरब सागर की एक तकिारे
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को गए र्े। मैैंिे अपिी तैरिे की कपड़ पहि समैुन्दर मैें एक-दो घंटों क निए खेिी र्ी।
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निकििा होगा। वजह हमैिे पूछा िहीं और हमै िोगों को झटपट ट्ि स
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बहुत समैय क बाद, हमै समैुन्दर से दफर से अपिे रहिे की जगह गए र्ा, मैेरी पूरी शारीर
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निकािा गया। मैिे अपिे सामैाि को दखेा तो मैेरा छोटा बैग वहां िहीं र्ा।
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गीिा और कपड़ों से भारी। जब हमै दफर से अपिे होटि मैें आ गए, मैैं िहाई र्ी और अच्
घबराए स्र मैें मैैंिे अपिे टीचर को बताया तो उन्होंिे मैुझे वापस ट्ि मैें बैग
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से सो गई। जब खेािे की समैय हो गया, हमै बहुत सारे िए भोजि खेाए र्े - गोवा की
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ििे भेज ददया। जैसे ही मैैं ट्ि मैें चढ़ा ट्ि चििे िगी। टीचर िे मैुझे ट्ि से व्यजि। दूसरी ददि पर हमैिे एक बड़ी सी स्ीनमैंग पि गए और शामै को हमैिे एक
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कदिे को कहा और मैैं िर कर कद गया। वहां मैुझे एक पुनिस वाि िे र्ामै अच्ी होटि मैें खेािा खेािे गए र्े - उसका िामै र्ा 'ब्क शीप तबस्रो'। वह बहुत
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निया। तब तक ट्ि चि चुकी र्ी हमैें वापस भेज ददया गया। मैैं इस यात्ा मैें मैज़ेदार र्ा। अगि ददि, हमैिे एक और समैुन्दर क तकिारे को गए र्े और एक बहुत
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हराि रह गया। मैैंिे अपिे जीवि मैें ऐसा कभी िहीं दखेा र्ा, बस मैें बैठ कर मैैं खेूबसूरत खेािे क जगह गए र्े, जहां हमैिे दुनिया की सबसे स्ाददष्ट कक खेाया। अगि
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ही ददि हमैें वापस आिा पड़ा क्ोंतक स्ि खेििे वाि र्े। मैुझे इस यात्ा बहुत मैजेदार
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वहां क दृश् को सोचता और अंदर तक काप जाता। स्ि पहुच कर मैैंिे अपिे
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िगी और मैुझे दफर से गोवा जािे की आशा ह; शायद मैें कछ ियी चीज़ सीखे सक।
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मैाता तपता को दखेा तो और रहम्मत आई। हमै घर की तरफ चि पड़। रास्े मैें
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मैैंिे उन्ह पूरी कहािी सुिाई। घर आकर अच्ा िग रहा र्ा ितकि मैेरे जीवि
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टी. एमै. सहािा
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की पहिी रेि यात्ा अधूरी रह गई ितकि अधूरी होिे क बाद भी यादगार रही, उम्र 12
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शजसे मैैं कभी भूि िहीं सकता हू। कक्ा आठवीं
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िीपीएस इन्टरिेशिि स्ि
तवहाि शसंह गुरुग्ामै
उम्र 12
कक्ा आठवीं
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